Dil Me Everest (Hindi translation of To Everest with Girls)
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आँखों में सपनों की चमक और दिल में अटूट जज़्बा लिए युवतियों का एक साहसी दल, वर्षों बाद लौटे एक अनुभवी पर्वतारोही की दृढ़ उपस्थिति, और विशेषज्ञ पर्वतारोहियों की एक सुसंगठित टीम, ये सब मिलकर निकल पड़े एक ऐसे अभियान पर, जो केवल पर्वत नहीं, मनुष्य की सीमाओं को भी लाँघने वाला था। हिमालय की ऊँचाइयों से लेकर पीर पंजाल और पूर्वी काराकोरम की कठिन चोटियों तक उनका यह सफर चुनौतियों, संघर्षों और विजय की कहानियों से गुज़रता हुआ अंततः पहुँचता है विश्व की सबसे भव्य चोटी, माउंट एवरेस्ट की बर्फीली ढलानों तक।
मिशन के नेता द्वारा लिखित यह संस्मरण रोमांच, नाट्य, हास्य, रोचक प्रसंगों और अतीन्द्रिय अनुभूतियों से भरा हुआ है। इसमें मार्ग-रेखाचित्रों और मनमोहक चित्रों के माध्यम से प्रकृति, लोगों और संस्कृति की समृद्ध झलक मिलती है। यह केवल एक यात्रा-वृत्तांत नहीं, बल्कि ट्रैकिंग, पर्वतारोहण, संकट प्रबंधन और नेतृत्व के उपयोगी पाठों का भी उत्कृष्ट संग्रह है, जो बाहरी गतिविधियों के शौकीनों और रोमांच-प्रेमियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक सिद्ध होगा।
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गौरव कार्की भारतीय सेना के एक इन्फेंट्री ऑफिसर हैं, जिन्होंने देश के कुछ सबसे दुर्गम और चुनौतीपूर्ण परिचालन क्षेत्रों में सेवा की है। एक उत्साही यात्री और रोमांच-प्रेमी के रूप में उन्होंने हिमालय, पीर पंजाल, काराकोरम पर्वत श्रृंखलाओं तथा ऑस्ट्रियाई आल्प्स में अनेक स्कीइंग, उच्च-ऊँचाई ट्रेकिंग और पर्वतारोहण अभियानों में भाग लिया है।
उन्हें आम लोगों के संघर्षपूर्ण जीवन से गहरा लगाव है, उतना ही जितना पहाड़ों, घाटियों, ग्रामीण परिवेश और वहाँ की वनस्पति व जीव-जगत की अद्भुत सुंदरता से। उनका विश्वास है कि उचित फिटनेस रखने वाला हर व्यक्ति उच्च-ऊँचाई वाले ट्रेकिंग और ऐसी बाहरी गतिविधियों में भाग लेकर अपनी भीतरी ऊर्जा को फिर से जगा सकता है और आत्मिक आनंद का अनुभव कर सकता है।
इस संस्मरण में उन्होंने यात्रा, रोमांच और पर्वतारोहण की उस अनूठी भावना को संजोया है, जो हर पाठक को भीतर तक छू जाती है। यह पुस्तक किंडल-अमेज़न पर उपलब्ध है, और शीघ्र ही उनकी एक नई कृति, कश्मीर की पृष्ठभूमि पर आधारित एक काल्पनिक नाटक, प्रकाशित होने जा रही है।
